रामायण: Difference between revisions

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Source book: https://nepalikitab.org/review-bhanu-bhakta-ramayan/
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==पुस्तक परिचय==
==पुस्तक परिचय==
नेपाशी”'
नेपाशी”'
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वाणी प्रष्त
वाणी प्रष्त
अभाकर तिलयम्‌', ४०५|१२५, चौपटियाँ रोड) लखनठ--२२६००३
अभाकर तिलयम्‌', ४०५|१२५, चौपटियाँ रोड) लखनठ--२२६००३
ग्रन्थ- विमौचेच
 
==ग्रन्थ- विमौचेच==
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कर्नाटक प्रदेश के महामहिम राज्ययाल . हिश्री पं० उमाशंकर दीक्षित के 00कर-कमलों ढ्वारा॥
कर्नाटक प्रदेश के महामहिम राज्ययाल . हिश्री पं० उमाशंकर दीक्षित के 00कर-कमलों ढ्वारा॥
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। यु मुनरव को ५
। यु मुनरव को ५
विषय-सूचौं
 
==विषय-सूचौं==
विषय . पृष्ठ-संख्याग्रन्थ-विमोचन--महामहिम राज्यपाल श्री उमाशंकर दीक्षित ३विषयसूची ४माल्यापँण डाँ० राजेनद्रकुमारी बाजपेयी ष्समपेण ६भारत-नेपाल सैत्ली युग-युग सम्म अमर रहोस्‌ ७उपहार परप्रकाशकीय ९-१६आमुख--अनुवाद १७ग्रन्थारम्भ एवं ' श्रीरामपञ्चायतन " का चिल्न १५बालकाण्ड १९अयोध्याकाण्ड ५४अरण्यकाण्ड पाकिष्किन्धाकाण्ड ११२सुन्दरकाण्ड , - १४७युद्धकाण्ड ॥ - १०५
विषय . पृष्ठ-संख्याग्रन्थ-विमोचन--महामहिम राज्यपाल श्री उमाशंकर दीक्षित ३विषयसूची ४माल्यापँण डाँ० राजेनद्रकुमारी बाजपेयी ष्समपेण ६भारत-नेपाल सैत्ली युग-युग सम्म अमर रहोस्‌ ७उपहार परप्रकाशकीय ९-१६आमुख--अनुवाद १७ग्रन्थारम्भ एवं ' श्रीरामपञ्चायतन " का चिल्न १५बालकाण्ड १९अयोध्याकाण्ड ५४अरण्यकाण्ड पाकिष्किन्धाकाण्ड ११२सुन्दरकाण्ड , - १४७युद्धकाण्ड ॥ - १०५
उत्तरकाण्ड 1000 २०१
उत्तरकाण्ड 1000 २०१
परमविदुषी डाँ० राजेन्द्रकुमारी वाजपेयी
 
==परमविदुषी डाँ० राजेन्द्रकुमारी वाजपेयी==
 
भै“ केस अन सं कककललकलक छठ छलप्ठठरीहै
भै“ केस अन सं कककललकलक छठ छलप्ठठरीहै
कद छुँ पक नेपाली काव्य क; ईन
कद छुँ पक नेपाली काव्य क; ईन
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२९ जून, १९७६ 0 ३००९रथयात्वा दिवस ति ७10
२९ जून, १९७६ 0 ३००९रथयात्वा दिवस ति ७10
प्रतिष्ठाता--भुवन वाणी ट्रस्ट, लखवञ--२
प्रतिष्ठाता--भुवन वाणी ट्रस्ट, लखवञ--२
ह्ति
 
==समर्पण==
श्री भानुभक्त !
श्री भानुभक्त !
संस्कृत भापा म ही परिसीमित पुप्कल रामचरित्को, विभिन्न भापाई अञ्चलो के अन्य रामायण-रचयिताओंकी भाँति, आफ्ने भी जतभापा मैं प्रस्तुत करके, सामान्यजनता के प्रति अनन्य उपकार किया हे ।
संस्कृत भापा म ही परिसीमित पुप्कल रामचरित्को, विभिन्न भापाई अञ्चलो के अन्य रामायण-रचयिताओंकी भाँति, आफ्ने भी जतभापा मैं प्रस्तुत करके, सामान्यजनता के प्रति अनन्य उपकार किया हे ।
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श्री ९ महाराजाधिराज वीरेन्द्र विक्रमशाहृदेव, नेपाल को भारत कीओर से सस्नेह्‌ उपहार ।
श्री ९ महाराजाधिराज वीरेन्द्र विक्रमशाहृदेव, नेपाल को भारत कीओर से सस्नेह्‌ उपहार ।


प्रस्तावना
==प्रस्तावना==
वाणी, भाषा और लिपि,
वाणी, भाषा और लिपि,
मन के भावों और उद्गारों को मुख से प्रकट करना, यही वाणीहै। पशु, पक्षी अथवा मन्नुष्यो मै जब कोई वग, एक प्रकार की वाणीबोलता है, उस बोली से परस्पर भावों को कहता, सुनता और समझताहै, तब वाणी के उस 'प्रकार' को उस विशिष्ट-वगै की भाषाकी संज्चादीजाती है। और उसी भाषाको जब चिल्लों-आक्नतियों मैं लिखकर प्रकटकिया जाता है, तब उन्ही चिल्लो और आक्नतियों को उस भाषा-विशेष कीलिपि कहा जाता है। २
मन के भावों और उद्गारों को मुख से प्रकट करना, यही वाणीहै। पशु, पक्षी अथवा मन्नुष्यो मै जब कोई वग, एक प्रकार की वाणीबोलता है, उस बोली से परस्पर भावों को कहता, सुनता और समझताहै, तब वाणी के उस 'प्रकार' को उस विशिष्ट-वगै की भाषाकी संज्चादीजाती है। और उसी भाषाको जब चिल्लों-आक्नतियों मैं लिखकर प्रकटकिया जाता है, तब उन्ही चिल्लो और आक्नतियों को उस भाषा-विशेष कीलिपि कहा जाता है। २
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[1 १४,]
[1 १४,]
भै पवनार आश्वम (वर्धा) मैं होनेवाले 'नागरी लिपि' समारोह मैं भारत मैंनेपाली दूतावास के सांस्कृतिक सहचारी प्रो श्री मानन्धर घूस्वाँ सायमि नेभाग लिया था। उन्होने भपने भापण मैं चा की कि प्रथम बार दिल्लीआने पर, उनकी धर्मपत्ती ने हिन्दी साइनबोरडो पर दुप्टि डालकर बढेकुतृहल से कहा, “अरे ! यहाँ तो ये सारे बोडे नेपाली" म लिखे हुए हँ! " ।सारांश यह कि नेपाल की सम्प्रति लिपि नेपाली है, उसका खुपवहीहैजोनागरी लिपिका। - ०
भै पवनार आश्वम (वर्धा) मैं होनेवाले 'नागरी लिपि' समारोह मैं भारत मैंनेपाली दूतावास के सांस्कृतिक सहचारी प्रो श्री मानन्धर घूस्वाँ सायमि नेभाग लिया था। उन्होने भपने भापण मैं चा की कि प्रथम बार दिल्लीआने पर, उनकी धर्मपत्ती ने हिन्दी साइनबोरडो पर दुप्टि डालकर बढेकुतृहल से कहा, “अरे ! यहाँ तो ये सारे बोडे नेपाली" म लिखे हुए हँ! " ।सारांश यह कि नेपाल की सम्प्रति लिपि नेपाली है, उसका खुपवहीहैजोनागरी लिपिका। - ०
भाचुअक्त रासायण
भाचुअक्त रासायण
जन साधारण की यह घारणा है कि नेपाल मै शिव और शक्तिकीउपासना काही प्राधान्यप है। भगवान्‌ रामको चर्चा, यदिहैभी तोनगण्यसी । संयोग से उत्तरप्रदेश ग्रन्थ अकादमी के तत्कालीन: अध्यक्षप्रख्यात विद्वान्‌ डाँ० रामकुमार वर्मा जी से एक बार भेट हुई । मेरै औरभुवन वाणी ट्रस्ट के भापाईं सेतुवन्ध के विपुल कार्य को देखकर वे अतिमुग्ध हुए । उन भापाई कार्यो में, देश के समस्त भापाई रामायण-साहित्यको चागरी लिपि के माध्यम से, एक मञ्च पर आते देखकर, उन्होने“भानुभक्त रामायण की मुझसे चर्चा की । उनके सुझाव पर ही नेपालीका यह ग्रन्थरत्न “भानुभक्त रामायण', आज पाठको के सम्मुख प्रस्तुत है।
जन साधारण की यह घारणा है कि नेपाल मै शिव और शक्तिकीउपासना काही प्राधान्यप है। भगवान्‌ रामको चर्चा, यदिहैभी तोनगण्यसी । संयोग से उत्तरप्रदेश ग्रन्थ अकादमी के तत्कालीन: अध्यक्षप्रख्यात विद्वान्‌ डाँ० रामकुमार वर्मा जी से एक बार भेट हुई । मेरै औरभुवन वाणी ट्रस्ट के भापाईं सेतुवन्ध के विपुल कार्य को देखकर वे अतिमुग्ध हुए । उन भापाई कार्यो में, देश के समस्त भापाई रामायण-साहित्यको चागरी लिपि के माध्यम से, एक मञ्च पर आते देखकर, उन्होने“भानुभक्त रामायण की मुझसे चर्चा की । उनके सुझाव पर ही नेपालीका यह ग्रन्थरत्न “भानुभक्त रामायण', आज पाठको के सम्मुख प्रस्तुत है।
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इस ग्रत्य मै किया गया । प्रशंसित ट्रस्ट एवं न्यासीगण के प्रति हमअतिशय क्षृतज्ञ हैँ।
इस ग्रत्य मै किया गया । प्रशंसित ट्रस्ट एवं न्यासीगण के प्रति हमअतिशय क्षृतज्ञ हैँ।
मुख्यन्यासी सभापति,भुवन वाणी ट्रस्ट, लखनञ-३
मुख्यन्यासी सभापति,भुवन वाणी ट्रस्ट, लखनञ-३
भानुभक्त-रामायण
 
==भानुभक्त-रामायण==
(नेपाली काव्य) »[अनुवादक--नन्दकुमार आमात्य]
(नेपाली काव्य) »[अनुवादक--नन्दकुमार आमात्य]
आमग्ुरव
आमग्ुरव
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झज£27£5725ई
झज£27£5725ई
0000 2010 0000 मई
0000 2010 0000 मई
भानजत्तन्राजवयण
 
चारकाणड ,, नब्रह्या-सारद-सँवादे पय र निएक्‌ दिन्‌ नारद सत्यलोक्‌ पुगिगया : लोक्‌को गर्छ हिंत्‌ भी ।ब्रह्मा ताहि थिया पच्या चरणमा'' खुशी गराया पनि ॥क्या'सोध्छौ तिमि सोध भन्छु म भनी मर्जी भयेथ्यो-, गजंसै 1?
==भानजत्तन्राजवयण==
चारकाणड ,, नब्रह्या-सारद-सँवादे पय र नि
एक्‌ दिन्‌ नारद सत्यलोक्‌ पुगिगया : लोक्‌को गर्छ हिंत्‌ भी ।ब्रह्मा ताहि थिया पच्या चरणमा'' खुशी गराया पनि ॥क्या'सोध्छौ तिमि सोध भन्छु म भनी मर्जी भयेथ्यो-, गजंसै 1?
ब्रह्माको करुणा बुझेर क्रषिलेहेत्रह्मा !..जति हुन्‌ गुभाशुभ सबै
ब्रह्माको करुणा बुझेर क्रषिलेहेत्रह्मा !..जति हुन्‌ गुभाशुभ सबै
बाँकी' “छैन .तथापि.. सुन अहिले.'
बाँकी' “छैन .तथापि.. सुन अहिले.'
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